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शेखर कपूर की फ़िल्मों में अभिनेत्री शबाना आज़मी ने विवाह की जटिलताओं को दर्शाया
प्रख्यात अभिनेत्री शबाना आज़मी ने शेखर कपूर की कई फ़िल्मों में अभिनय किया है, जिनमें विवाह की जटिलताओं को दर्शाया गया है। इन फ़िल्मों में, आज़मी ने विवाह के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया है, जिनमें प्यार, विश्वास, विश्वासघात, और अलगाव शामिल हैं।
आज़मी की पहली फ़िल्म, “मसूम” (1983), एक दत्तक पुत्र की कहानी है। इस फ़िल्म में, आज़मी एक विधवा माँ की भूमिका निभाती हैं जो अपने बेटे को एक प्रेमी के साथ छोड़ देती है। इस फ़िल्म में, आज़मी ने विवाह के दोषपूर्ण पक्षों को दर्शाया है, जिसमें एक रिश्ते में विश्वास की कमी और एक बच्चे के जीवन को प्रभावित करने वाले माता-पिता के विवाद शामिल हैं।
“मासूम” के बाद, आज़मी ने “मिर्जा नज़ीर अली” (1986), “फ़ना” (1988), और “सरफ़रोश” (1999) जैसी फ़िल्मों में अभिनय किया है। इन फ़िल्मों में, आज़मी ने विवाह के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया है, जिनमें प्यार, विश्वास, और विश्वासघात शामिल हैं।
“फ़ना” में, आज़मी एक ऐसी महिला की भूमिका निभाती हैं जो अपने पति से प्यार करती है, लेकिन वह उसके विश्वासघात से तबाह हो जाती है। इस फ़िल्म में, आज़मी ने विवाह में विश्वास की भूमिका को दर्शाया है, और यह दिखाया है कि कैसे विश्वासघात एक रिश्ते को कैसे तोड़ सकता है।
“सरफ़रोश” में, आज़मी एक ऐसी महिला की भूमिका निभाती हैं जो अपने देश के लिए लड़ने वाले अपने पति की प्रतीक्षा करती है। इस फ़िल्म में, आज़मी ने विवाह के महत्व को दर्शाया है, और यह दिखाया है कि कैसे विवाह एक पति-पत्नी के बीच मजबूत बंधन बना सकता है।
आज़मी की हालिया फ़िल्म, “लव क्या है?” (2022), एक महिला की कहानी है जो एक बुजुर्ग पुरुष से शादी करती है। इस फ़िल्म में, आज़मी ने विवाह में उम्र के अंतर की चुनौतियों को दर्शाया है, और यह दिखाया है कि कैसे प्यार किसी भी उम्र में संभव है।
आज़मी की भूमिकाएँ अक्सर विवाह की चुनौतियों और संघर्षों को दर्शाती हैं, लेकिन वे विवाह की सुंदरता और महत्व को भी दर्शाती हैं। आज़मी ने शेखर कपूर की फ़िल्मों में विवाह की जटिलताओं को दर्शाने के लिए अपनी अभिनय प्रतिभा का उपयोग किया है, और उन्होंने इस विषय पर एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान किया है।